अध्याय 5 - परियोजनाओं का निष्पादन

संकर्मो का निष्पादन
 21- निगम की स्वयं या किसी अन्य अभिकरण की मार्फत निष्पादित कर सकेगा।

अध्याय 6 - वित्तीय प्राक्कलन, निधियां, लेखे तथा संपरीक्षा
  कि्रयाकलापों का कार्यक्रम तथा वित्तीय प्राक्कलन का प्रस्तुत किया जाना
22- 1. निगम, प्रत्येक वर्ष के संबंध में, अपने कि्रयाकलापों के कार्यक्रम का विवरण तथा साथ ही वार्षिक वित्तीय विवरण, जिसमें उस वर्ष के लिये निगम की प्राक्कलित प्रापितयां तथा व्यय विस्तारपूर्वक दर्शाये जायेंगे, राज्य सरकार को प्रस्तुत करेगा।
2. निगम उपधारा 1 में निर्दिष्ट किये गए विवरण तथा प्राक्कलन को राज्य सरकार के अनुमोदन से पुनरीक्षित या उपान्तरित कर सकेगा।
3. निगम आगामी वर्ष के दौरान निष्पादित किए जाने वाले कार्यक्रम तथा विभिन्न कि्रयाकलापों संबंधी परियोजना के ब्यौरे राज्य सरकार को प्रतिवर्ष प्रस्तुत करेगा।
4. राज्य सरकार या तो परियोजना को अनुमोदित कर सकेगी या उसका अनुमोदन ऐसे उपान्तरणों के साथ कर सकेगी जैसे कि वह आवश्यक समझे अथवा उस परियोजना को उपान्तरित किए जाने हेतु या ऐसे निदेशें के अनुसार जैसे कि राज्य सरकार समुचित समझे नर्इ परियोजना तैयार किए जाने के हेतु वह परियोजना निगम को लोटा सकेगी.

निगम की निधि
23- 1. निगम की अपनी स्वयं की निधि होगी और वह उसे बनाए रखेगा, तथा निगम की समस्त प्रापितयां उसमें जमा की जाएगी तथा निगम द्वारा समस्त संदाय उसमें से किए जायेंगे
। 2. नगम की निधि का उपयोजन निगम द्वारा अपने समस्त प्रशासनिक व्ययों की पूर्ति करने के लिये तथा उस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यानिवत करने के लिये किया जाएगा।
3. निगम ऐसी राशिं, जिनकी कि उसे अपनी संकि्रयाओं के लिए आवश्यकता हो, किसी बैंक में निक्षिप्त कर सकेगा और अधिशेष ऐसी रीति से, जो राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित की जाए, विनिहित किया जा सकेा.

  निगम के तुलनापत्राों आदि का तैयार किया जाना
24- 1. बोर्ड निगम की वहियों तथा लेखाओं को, जैसे कि वे प्रतिवर्ष तीस जून को हो, संतुलित करवाएगा तथा बंद करवाएगा.
2. निगम का तुलना पत्रा तथा लेखे ऐसी रीति से तैयार किए जाएंगे तथा बनाए रखे जायेंगे जो विनियमों द्वारा विहित की जाए.

अधिशेष लाभ का आवंटन
25- 1. निगम एक आरक्षित निधि स्थापित करेगा जिससे उसके वार्षिक शुद्ध लाभों का ऐसा भाग जिसे निगम ठीक समझे, प्रतिवर्ष जमा किया जाएगा.
2. ऐसी आरक्षित निधि के लिए तथा डूबंत और शंकास्पद ऋणों के लिये और समस्त ऐसे अन्य विषयों के लिये जिनके लिये कंपनी अधिनियम, 1956 ;1956 का सं. 1द्ध के अधीन रजिस्ट्रीकृत तथा निगमित कंपनी द्वारा प्रायिक रूप से उपबंध किया जाता है, उपबंध करने के पश्चात निगम के वार्षिक शुद्ध लाभों के अतिशेष का संदाय राजय सरकार को किया जाएगा।
 लेखे तथा संपरीक्षा
26- 1.  निगम उचित लेखा बहियां तथा ऐसी अन्य बहियां जो निगमों द्वारा अपेक्षित हों, रखवाएगा तथा लेखाओं का वार्षिक विवरण विहित रीति में तैयार करेगा। 2. निगम अपने लेखाओं की संपरीक्षा प्रतिवर्ष ऐसे व्यकित द्वारा करवाएगा जैसा कि राज्य सरकार निदेशित करे। 3. जैसे ही निगम के लेखाओं की संपरीक्षा हो जाती है, निगम उनकी एक प्रति, उनके संबंध में संपरीक्षक की रिपोर्ट की एक प्रति के साथ राज्य सरकार को भेजेगा और लेखाओं को बिहित रीति से प्रकाशित करवाएगा और उसकी प्रतियां युकितयुक्त कीमत पर विक्रय के लिये रखेगा। 4. निगम ऐसे निदेशों का अनुपालन करेगा जो राज्य सरकार, संपरीक्षक की रिपोर्ट का परिशीलन करने के पश्चात जारी करना ठीक समझे.
विवरणियां
27- 1.  निगम राज्य सरकार को समय समय पर ऐसी विवरणियां देगा जिनकी कि राज्य सरकार अपेक्षा करें. 2. निगम, राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष के संबंध में तुलनापत्रा की, जैसा कि वह उस वर्ष की समापित के समय हो एक प्रति तथा उसके साथ ही उस वर्ष का लाभ और हानि लेखा तथा निगम के कार्यकरण संबंधी रिपोर्ट, जिसमें उस वर्ष के दौरान की उसकी नीति तथा कार्यक्रम समिमलित होगा, उस तारीख से, जिसको कि निगम के वार्षिक लेखे बन्द किये जाते है, तीन मास की कालावधि के भीतर देगा। 3. राज्य सरकार, ऐसी रिपोर्ट प्राप्त होने के पश्चात, यथाशक्य शीघ्र उस रिपोर्ट को तथा धारा 26 के अधीन प्राप्त संपरीक्षा रिपोर्ट को विधन सभा के पटल पर रखबाएगी।.

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